इंटीरियर डेकोरेशन न केवल आज के आधुनिक समय में प्रचलित है , बल्कि पुराने समय में भी इंटीरियर डेकोरेशन हर एक घर में चाहे वो किसी भी आय वर्ग के लोगो का हो देख सकते थे। पुराने समय में भी घर हो या महल हो या उसकी साज सज्जा हो लोगों की जरूरतों , सोशल स्टेटस और लाइफस्टाइल को दर्शाता था , और आज भी हम इन्ही बुनियादी बातों के आधार पर काम करते हैं।
हालाँकि आधुनिक शब्दावली में पिरोये जाने के कारण इंटीरियर डिज़ाइन एक आधुनिक परिभाषा सा प्रतीत होता है, लेकिन यदि हम पुराने तकनीकों और तरीको पर नज़र डालें तो हम ये पाते हैं की वो जो दीवारों पर मिटटी की लिपायी और प्राकृतिक रंगों की कलाकृतिया थीं , वो जो दरवाजों खिड़कियों के रंग थे , वो जो लकड़ी के फर्नीचर की नक्काशी थी, वो छत की जो लकड़ी की बल्लियां थी शायद वही आज की आधुनिक शब्दावली में वाल टेक्सचर, ब्राइट कलर्स, सॉलिड वुड वर्क और वुडेन राफ्टर इन सीलिंग है। लोग पहले भी अपनी जरूरतों और सोशल स्टेटस के अनुसार कीमती वस्तुओं का संग्रहण और प्रदर्शन करते थे और आज भी खूबसूरत आर्टफैक्टस से घरो को सजाते हैं।
आज के आधुनिक समय में भी घर वो जगह है जो जीवन का केंद्र होता है। इसका हर एक कोना एक कहानी सुनाता है इसलिए घर का इंटीरियर डेकोरेशन वहां के रहने वाले प्रत्येक सदस्यों की भावनाओं, महत्वकांछाओं और लाइफस्टाइल के अनुसार होना चाहिए। घर पे इस्तेमाल किये जाने वाले हर एक वस्तुओं और फर्निशिंग का सही चयन न केवल अच्छा डेकॉर बनाता है बल्कि ये लोगों के मानसिक और आध्यात्मिक व्यवहार पर सकारात्मक प्रभाव देता है।
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